Bharat Ratna *हमारी आज की बदलाव की कहानी है, तौहीद जी की | पिछले दो महीनों से तौहीद जी ने बहुत ही सराहनीय कार्य किया है |मै चाहूंगी की आप सब उनकी कहानी पढ़े और उनके काम को सराहे* उत्तर प्रदेश के एक छोटे से शहर मिर्ज़ापुर में रहने वाले जिंदादिल इंसान तौहीद खान से मिलते समय कोई भी व्यक्ति अपनी मुस्कान रोक नहीं सकता है । वैसे तो पेशे से तौहीद Work 4 Progress प्रोग्राम के अंतर्गत एक फील्ड वर्कर है पर, अपनी काली हीरो होंडा बाइक पर प्रेस की स्टीकर लगाए सवार तौहीद शहर की गलियों में घूमते- फिरते रहते है और अपने दोस्तों अथवा रिश्तेदारों द्वारा चलाए जाने वाले खाने-पीने और दूसरी दुकानों के बारे में बताते रहते है । एक फील्ड वर्कर के रूप में उन्होंने उद्यमशीलता को काफ़ी बढावा दिया हैं और उनकी सकारात्मकता सब पर छाप छोड़ती जाती है । यह बात ऐसे समय में अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है जब ज्यादातर लोग एक वाइरस से डरे सहमें से अपने घरों में बैठे हैं । देशभर में लॉकडाउन की घोषणा होने के एक दिन बाद ही तौहीद ने अपने जिला के अधिकारियों से संपर्क किया और अपने पाँच अन्य साथियों के साथ खाने- पीने का सामान और पका भोजन वितरित करने की अनुमति माँगी । अब तक वे मिर्ज़ापुर के नज़दीकी गांवो में दो सौ से अधिक लोगों को पका हुआ खाना बांटना चुके है साथ ही साथ अकोरी गांव के प्रधान और वर्क 4 प्रोग्रेस से जुड़े उद्यमियों की सहायता से सैनिटाइज़र और मास्क भी उपलब्ध करा रहे हैं। एक तरफ जहां उनके धर्म के बारे में अफवाहें फैलाई जा रही है, तौहीद अपने मिशन में डटे हुए है और गोपालपुर एवम शिवपुर के सौ से अधिक नए निवासियों -जिन में से ज़्यादातर सफाई कर्मचारी और रोज़ कमा कर खाने वाले दैनिक मजदूर, के बीच चावल, गेहूं और आलू के रूप में सहायता प्रदान करने की व्यवस्था कर रहे हैं। एक भयंकर सड़क दुर्घटना के बाद वाराणसी के ट्रॉमा सेंटर में दो महीने कोमा में बिता चुके, तौहीद का मानना है कि ठीक होने के बाद मिली उनकी यह दूसरी जिंदगी अन्य लोगों की मदद करने का अवसर मात्र है वे धर्म से उपर उठकर अपने अनुभवो को साझा करते हुए कहते है, " हम अपनी जमा पूंजी से बुरे हालत का सामना कर रहे लोगों की मदद कर रहे है और जब तक कर सकते है करते रहेंगे ।" #tauheed_khan