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तौहीन ए जज़्बात की अब बात न छेड़ो बीत गई उस रात की

तौहीन ए जज़्बात की अब बात न छेड़ो
बीत गई उस रात की अब बात न छेड़ो
रिश्ता भी कारोबारी था जज़्बात भी बतील
सतही ताल्लुकात की अब बात न छेड़ो
हासिल न कुछ वो कर सका साथ छोड़कर
दगा ए एहसासात की अब बात न छेड़ो
तफरीह थी उसके लिये यूँ इश्क में फरेब
मुख्तसर सी मुलाकात की अब बात न छेड़ो
करता रहा मैं इश्क वो करता रहा मज़ाक
उन तंज़ई हालात की अब बात न छेड़ो
समर उस दिलफेब के धोखे भी थे हसीन
फितरत ए खुराफात की अब बात न छेड़ो
तौहीन ए जज़्बात की अब बात न छेड़ो
बीत गई उस रात की अब बात न छेड़ो
रिश्ता भी कारोबारी था जज़्बात भी बतील
सतही ताल्लुकात की अब बात न छेड़ो
हासिल न कुछ वो कर सका साथ छोड़कर
दगा ए एहसासात की अब बात न छेड़ो
तफरीह थी उसके लिये यूँ इश्क में फरेब
मुख्तसर सी मुलाकात की अब बात न छेड़ो
करता रहा मैं इश्क वो करता रहा मज़ाक
उन तंज़ई हालात की अब बात न छेड़ो
समर उस दिलफेब के धोखे भी थे हसीन
फितरत ए खुराफात की अब बात न छेड़ो