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Tum se ek shikayat hai मेरे हाथों में कुछ भी तो नह

Tum se ek shikayat hai मेरे हाथों में कुछ भी तो नहीं, फिर छूटता क्या है,
तुम मुझसे बिछुड़ती हो तो, 
दिल के भीतर टूटता क्या है, जुदाई शायरी
Tum se ek shikayat hai मेरे हाथों में कुछ भी तो नहीं, फिर छूटता क्या है,
तुम मुझसे बिछुड़ती हो तो, 
दिल के भीतर टूटता क्या है, जुदाई शायरी