इक थी प्यारी चंचल चिडियाँ उडती थी कभी नील गगन मॆं बिना डरे बिना थके वो सबको खुशी से मिलाती थी ऱोज अमन का नया राग वो सबको बतलाती थी इक पडी नजर जब उस दुष्ट बाज की उस चंचल चिडियाँ पर तब वो भूल गई अपना सार बडे जतन से उसने था खुद को बचाया पर भूल गई वो अपने मन की चंचल छाया क्या वो फिर इक बार वैसे ही गुनगुनाएगी या फिर समाज के तानो में वह दबकर ही रह जाएगी । #didyouknow