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इक थी प्यारी चंचल चिडियाँ उडती थी कभी नील गगन मॆं

इक थी प्यारी चंचल चिडियाँ
उडती थी कभी नील गगन मॆं
बिना डरे  बिना थके वो सबको
खुशी से मिलाती थी
ऱोज अमन का नया राग
वो सबको बतलाती थी 
इक पडी नजर जब उस दुष्ट बाज की
उस चंचल चिडियाँ पर तब वो
भूल गई अपना सार
बडे जतन से उसने था खुद को बचाया
पर भूल गई वो अपने मन की चंचल छाया
क्या वो फिर इक बार वैसे ही गुनगुनाएगी 
या फिर समाज के तानो में वह दबकर ही रह जाएगी । #didyouknow
इक थी प्यारी चंचल चिडियाँ
उडती थी कभी नील गगन मॆं
बिना डरे  बिना थके वो सबको
खुशी से मिलाती थी
ऱोज अमन का नया राग
वो सबको बतलाती थी 
इक पडी नजर जब उस दुष्ट बाज की
उस चंचल चिडियाँ पर तब वो
भूल गई अपना सार
बडे जतन से उसने था खुद को बचाया
पर भूल गई वो अपने मन की चंचल छाया
क्या वो फिर इक बार वैसे ही गुनगुनाएगी 
या फिर समाज के तानो में वह दबकर ही रह जाएगी । #didyouknow