हाँ, लड़के भी रोते हैं। सिर पर रखे सती, शंकर के अविरल आँसू बहते जब। 'हे खग मृग हे मधुकर श्रेनी' राम तड़प कर कहते जब। जब 'चंदन की गुंजा' बड़के 'ओमकार' को वर जाती। 'धर्मवीर' के उपन्यास में एक 'सुधा' जब मर जाती। अपने जैसी पीड़ा पढ़कर नहीं रात भर सोते हैं। हाँ, लड़के भी रोते हैं। प्रेयसि किसी और का कुमकुम जब माथे पर धर लेती। इन आँखों के ही सम्मुख जब किसी और को वर लेती। तब सहसा ही गहन अंधेरे इन आँखों पर छा जाते। बिना विदाई दिए किसी को हम घर वापस आ जाते। दाब हथेली से मुह अपना तकिया खूब भिगोते हैं। हाँ, लड़के भी रोते हैं । स्टेशन से रेल कभी जब बड़े शहर को है ढुलके। बाहर हँसकर हाँथ हिलाते भीतर रोते हम खुलके। जब अनजाने ही सब्जी में बहुत नमक पड़ जाता है। बचा हुआ जब सारा आटा ही गीला मड़ जाता है। तब-तब लाल थके मैया के आँसू पीकर सोते हैं। हाँ, लड़के भी रोते हैं। लड़के तब भी रोते जब-जब उनके लड़के रोते हैं। रोने वाले लड़के सच में सबसे प्यारे होते हैं। बोबिन के धागे सी माँ जब एक रोज चुक जाती है। जब पापा की हाथ घड़ी की टिक-टिक-टिक रुक जाती है। तब-तब आधे बूढ़े लड़के एक रसातल होते हैं। हाँ, लड़के भी रोते हैं। #अभिषेक 🥰🥰🥰😊😊☺☺ #raindrops Lipsita Palei Arohi singh 🌿