मन री बता सुन-सुनकर के कान बहरा हो गया। 5 साल में हुई परीक्षा पप्पू फिर से रह गया। मोटा भाई को दे गया है शकुनि पासे अपने। और फिर धरे के धरे रह गए आडवाणी के सपने। चाली ऐसी या फूल की बहार पाक घबरायो रे। आयो आयो यो कालोबाजार भ्रष्टाचार छायो रे। PNB में कर घोटाले लंदन भागा माल्या। पंजा पंच मार सका ना, न अब के हाथी चाल्या। दलितों का दलिया खा गया नितीश जनता वाला। शीत लहरों से सबूत मांगे मफलर दिल्ली वाला। हो ये राजनीति का खेल है बेकार झूठ मंडरायो रे। आयो आयो यो कालोबजार भ्रष्टाचार छायो रे। न आया था ना आएगा विदेशों से काला धन। अन्ना भोले मन वाले हे जो कर रह अनशन। स्विस बैंक में जमा हो गया भारत का रुपइया। और नेता साथ चाबी लेकर भूमिगत हे भइया। ये तो सब है चौरा का सरदार किसे समझावो रे। आयो आयो यो कालोबाजार भ्रष्टाचार छायो रे। नेता का सजे घर बार कालो धन कमाओ रे। agar is poem se kisi ko thes pahuchi ho to mafi chahunga