आज तक मुझे मेरी "पहली मोहब्बत" ने भी नहीं कबूला; और वो बेवफ़ा मेरी ज़िन्दगी में आई और एक पल में मुझे "ईशक का सौदागर" क़रार कर चली गई । आदित्य कुंवर ईशक और मोहब्बत का फर्क रह गया, मैं तनहा था तनहा ही रह गया ।