#OpenPoetry आपकी दौलत से नहीं आपकी रूहानियत से मोहब्बत है हमें मुख्तसर मुलाकात की आदत है हमें यहां हम आपसे उल्फत की उम्मीद लगाए बैठे हैं और वहां आप अपनी जि़द लिए बैठे हैं बस एक ही मज्जिहत है आपके सलामती की बस आप अपनी सलामती अपनी कुरबत में रखिएगा क्यूंकि अब हम जबाज़ देने आपकी कुरबत में नहीं आएंगे #OpenPoetry #instagram - garima2347 #yourquotes garima yadav