है किसका ख़ून बहता मौत का सरदार क्या जाने ये बेवा की तड़पती रूह का संसार क्या जाने उसे हक़ है वो टूटा घर दुबारा से बसाने का अकेलापन रिवायत का वो ठेकेदार क्या जाने कमाती है वो रोटी अब,सुकूँ की नींद खो के ज़रूरत उस की बेगाना सा रिश्तेदार क्या जाने बुझी है रौशनी खुशियों की,अंधेरे का डेरा है कोई खामोश दर्द-ओ-गम का वो आज़ार क्या जाने है बहता 'नीर' आंखों से तड़पती आरज़ू उसकी मिलेगा क्या मसीहा भी वो लाचार क्या जाने नेहा माथुर 'नीर' #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकागज़जिजीविषा #विशेषप्रतियोगिता #subscribersofकोराकाग़ज़ Pic credit:- google images