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टुकड़े-टुकड़े दिन बीता,  धज्जी-धज्जी रात मिली।  जि

टुकड़े-टुकड़े दिन बीता, 
धज्जी-धज्जी रात मिली। 
जिसका जितना आंचल था, 
उतनी ही सौग़ात मिली।। 
जब चाहा दिल को समझें, 
हंसने की आवाज़ सुनी। 
जैसे कोई कहता हो, लो 
फिर तुमको अब मात मिली।। 
बातें कैसी ? घातें क्या ? 
चलते रहना आठ पहर। 
दिल-सा साथी जब पाया, 
बेचैनी भी साथ मिली।। #NojotoQuote मीना कुमारी जी
टुकड़े-टुकड़े दिन बीता, 
धज्जी-धज्जी रात मिली। 
जिसका जितना आंचल था, 
उतनी ही सौग़ात मिली।। 
जब चाहा दिल को समझें, 
हंसने की आवाज़ सुनी। 
जैसे कोई कहता हो, लो 
फिर तुमको अब मात मिली।। 
बातें कैसी ? घातें क्या ? 
चलते रहना आठ पहर। 
दिल-सा साथी जब पाया, 
बेचैनी भी साथ मिली।। #NojotoQuote मीना कुमारी जी