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तू वह चांद है जिसको मैं पाना नहीं चाहती , पर तुझे

तू वह चांद है जिसको मैं पाना नहीं चाहती ,
पर तुझे देखने का एक भी मौका गवाना नही चाहती,
तूझे दूर से चाहना मंजूर है मुझे,
मेरी इस इबादत पर गुरुर है मुझे,
तुझे अपने लफ़्ज़ों में छुपा के रखूंगी,
अपनी शायरी में बसा के रखूंगी,
चांद सा है तू,तेरी चांदनी नहीं,
मैं खुद को जमीं बना कर रखूंगी।।

©Pandit Anika #roshni
तू वह चांद है जिसको मैं पाना नहीं चाहती ,
पर तुझे देखने का एक भी मौका गवाना नही चाहती,
तूझे दूर से चाहना मंजूर है मुझे,
मेरी इस इबादत पर गुरुर है मुझे,
तुझे अपने लफ़्ज़ों में छुपा के रखूंगी,
अपनी शायरी में बसा के रखूंगी,
चांद सा है तू,तेरी चांदनी नहीं,
मैं खुद को जमीं बना कर रखूंगी।।

©Pandit Anika #roshni
anikachaturvedi3963

Pandit Anika

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