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a-person-standing-on-a-beach-at-sunset इस अज़ीयत स

a-person-standing-on-a-beach-at-sunset  इस अज़ीयत से मुझको तू रिहाई दे 
गर आइने में भी देखू तो तू दिखाई दे 

रिश्ता जो तबाह हुआ वजह था मैं ही 
सुन ले ये खुदा जो गर तुझे सुनाई दे 

कितनी रातें इस मलाल में कटी पता नहीं 
देने पे आए सूरज तो शाम को परछाई दे 

शिव का शागिर्द हु तो मुझपे भी लाज़िम है 
 रब जवानी में उठा ले बुढ़ापे की न रुसवाई दे

पिछली बार नस काटने पे बोली यही थी वो 
 खून कितना बह रहा है ला मुझे कलाई दे

©Er Aryan Tiwari #good_night  शायरी दर्द  शायरी दर्द
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset  इस अज़ीयत से मुझको तू रिहाई दे 
गर आइने में भी देखू तो तू दिखाई दे 

रिश्ता जो तबाह हुआ वजह था मैं ही 
सुन ले ये खुदा जो गर तुझे सुनाई दे 

कितनी रातें इस मलाल में कटी पता नहीं 
देने पे आए सूरज तो शाम को परछाई दे 

शिव का शागिर्द हु तो मुझपे भी लाज़िम है 
 रब जवानी में उठा ले बुढ़ापे की न रुसवाई दे

पिछली बार नस काटने पे बोली यही थी वो 
 खून कितना बह रहा है ला मुझे कलाई दे

©Er Aryan Tiwari #good_night  शायरी दर्द  शायरी दर्द