दो क्षण प्रिये तेरी मधुरिमा में रहती हूँ अगले क्षण संध्या-सुंदरी की लालिमा में खो जाती हूँ तेरे प्रेम में चित्र बनकर अंकित हो जाती हूँ हर रंग में बस प्रिये तु नजर आये इसलिये चुपके से तेरे दिल में खो जाती हूँ ...✍भारती कुमारी भारती कुमारी