जन्म लेने तो हर साल आते हो, मटकी तोड़ने के खेल भी लाते हो | सूनी गलियों में भी शोर लाते हो | कभी अपना दीदार तो करा दो उनको ऐ कान्हा, जो तेरे दरबार को रोज जाते हो | जन्म लेने तो हर साल आते #