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इश्क़ के सफर में, कब तलक अकेली चलती मैं। फ़रेबी मुहब

इश्क़ के सफर में, कब तलक अकेली चलती मैं।
फ़रेबी मुहब्बत में तेरी, और कितना बिखरती मैं।
ये #पंछी नदियाँ, सुनाते गीत तेरी बेवफ़ाई का,
खाकर चोट दिल पे, और कितना सम्भलती मैं। #स्नेहा_अग्रवाल 
#मैं_अनबूझ_पहेली 
#मुक्तक_सृजन
इश्क़ के सफर में, कब तलक अकेली चलती मैं।
फ़रेबी मुहब्बत में तेरी, और कितना बिखरती मैं।
ये #पंछी नदियाँ, सुनाते गीत तेरी बेवफ़ाई का,
खाकर चोट दिल पे, और कितना सम्भलती मैं। #स्नेहा_अग्रवाल 
#मैं_अनबूझ_पहेली 
#मुक्तक_सृजन