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गीत- गोवर्धन की पूजा करता जा, जा तुझको खुशिय

गीत- गोवर्धन की पूजा करता जा, 
     जा तुझको खुशियां हजार मिले....

घट-घट में कान्हा बसते हैं,
क्यों खोज रहा है तूं जग में;
शुद्ध  सदा  परिवेश  रहे,
कान्हा का आशीष मिले हर युग में;
कलयुग ने भले भरमाया है,
भाग्य जगाने का वरदान मिले.....
गोवर्धन की पूजा करता जा, 
जा तुझको खुशियां हजार मिले.....

तन-मन व्याधि से मुक्त रहे,
जीवन में खुशियां बरसाओ;
अपनी आभा को फैला दे,
जग वैर-कपट से मुक्त रहे;
अपनी बंसी बजा दे माधव,
दारुण-दु:ख से मुक्ति मिले....
गोवर्धन की पूजा करता जा, 
जा तुझको खुशियां हजार मिले........

   - दयानन्द त्रिपाठी "व्याकुल"

©DN Tripathi Vayakul #Vayakul
गीत- गोवर्धन की पूजा करता जा, 
     जा तुझको खुशियां हजार मिले....

घट-घट में कान्हा बसते हैं,
क्यों खोज रहा है तूं जग में;
शुद्ध  सदा  परिवेश  रहे,
कान्हा का आशीष मिले हर युग में;
कलयुग ने भले भरमाया है,
भाग्य जगाने का वरदान मिले.....
गोवर्धन की पूजा करता जा, 
जा तुझको खुशियां हजार मिले.....

तन-मन व्याधि से मुक्त रहे,
जीवन में खुशियां बरसाओ;
अपनी आभा को फैला दे,
जग वैर-कपट से मुक्त रहे;
अपनी बंसी बजा दे माधव,
दारुण-दु:ख से मुक्ति मिले....
गोवर्धन की पूजा करता जा, 
जा तुझको खुशियां हजार मिले........

   - दयानन्द त्रिपाठी "व्याकुल"

©DN Tripathi Vayakul #Vayakul