गीत- गोवर्धन की पूजा करता जा, जा तुझको खुशियां हजार मिले.... घट-घट में कान्हा बसते हैं, क्यों खोज रहा है तूं जग में; शुद्ध सदा परिवेश रहे, कान्हा का आशीष मिले हर युग में; कलयुग ने भले भरमाया है, भाग्य जगाने का वरदान मिले..... गोवर्धन की पूजा करता जा, जा तुझको खुशियां हजार मिले..... तन-मन व्याधि से मुक्त रहे, जीवन में खुशियां बरसाओ; अपनी आभा को फैला दे, जग वैर-कपट से मुक्त रहे; अपनी बंसी बजा दे माधव, दारुण-दु:ख से मुक्ति मिले.... गोवर्धन की पूजा करता जा, जा तुझको खुशियां हजार मिले........ - दयानन्द त्रिपाठी "व्याकुल" ©DN Tripathi Vayakul #Vayakul