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तो रेगिस्तान को भी गुलिस्तान बनाऊ उजडे चमन में बह

तो रेगिस्तान को भी गुलिस्तान बनाऊ 
उजडे चमन में बहार ले आऊँ 
रूखे सुखे आंगन को गुलशन बनाऊं

तुम जो चाहो
तो खुशियों की बारिश बरसाऊं
लुफ्त की नसीम बहाऊ 
बसीरत की रोशनी फैलाऊं

फर्जी शायर सुप्रभात।
तुम जो चाहो,
क़िस्मत का दरवाज़ा भी खुल सकता है।
#तुमजोचाहो #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
#urdushayari #urdupoetry #rekhta #rekhtashayari
तो रेगिस्तान को भी गुलिस्तान बनाऊ 
उजडे चमन में बहार ले आऊँ 
रूखे सुखे आंगन को गुलशन बनाऊं

तुम जो चाहो
तो खुशियों की बारिश बरसाऊं
लुफ्त की नसीम बहाऊ 
बसीरत की रोशनी फैलाऊं

फर्जी शायर सुप्रभात।
तुम जो चाहो,
क़िस्मत का दरवाज़ा भी खुल सकता है।
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