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#बे मेल प्यार # बनके लहू नस नस में समाती चली गई ।

#बे मेल प्यार # 
बनके लहू नस नस में समाती चली गई ।
नैनो में सुनहरे ख्वाब सजाती चली गई ।
मैं खोया था प्यार में उसके कुछ इस तरह,
वो मेरे अरमानों को और बढ़ाती चली गई ।
                                      वो कौन थी ।
आई वो मेरे जीवन में  बहार की तरह ।
सावन की किसी ठंडी फुहार की तरह।
जाते ही ले गई वो सब कुछ समेट कर,
,भारत,हुआ तनहा किसी शिकार की तरह।
                                      वो कौन थी । 
जय हिंद ।

©Bharat Lal Soni # वो कौन थी #
#बे मेल प्यार # 
बनके लहू नस नस में समाती चली गई ।
नैनो में सुनहरे ख्वाब सजाती चली गई ।
मैं खोया था प्यार में उसके कुछ इस तरह,
वो मेरे अरमानों को और बढ़ाती चली गई ।
                                      वो कौन थी ।
आई वो मेरे जीवन में  बहार की तरह ।
सावन की किसी ठंडी फुहार की तरह।
जाते ही ले गई वो सब कुछ समेट कर,
,भारत,हुआ तनहा किसी शिकार की तरह।
                                      वो कौन थी । 
जय हिंद ।

©Bharat Lal Soni # वो कौन थी #

# वो कौन थी #