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जब सबकी चाय एक साथ बनती थी और मेज़ पूरी भरी हुई हो

जब सबकी चाय एक साथ बनती थी
और मेज़ पूरी भरी हुई होती थी,
कभी बालकनी यूं ही फांद कर 
जब दूसरी छत पर आचार वाले आम चोरी हुआ करते थे,
और होली पर, उसी छत पर छिप कर,
बाल्टी भर कर दूसरे पर डाला करते थे,
कहने को बातें बहुत और शब्द कम,
बस इतना ही कहना है कि,
वो भी क्या दिन थे....
 सुप्रभात।
उन दिनों की बहुत याद आती है 
जब हम एक साथ बैठ कर सुबह का आनंद लिया करते थे।
कामना करते हैं कि वो शुभ दिन जल्द लौट आएं।
#वोदिन #collab  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
जब सबकी चाय एक साथ बनती थी
और मेज़ पूरी भरी हुई होती थी,
कभी बालकनी यूं ही फांद कर 
जब दूसरी छत पर आचार वाले आम चोरी हुआ करते थे,
और होली पर, उसी छत पर छिप कर,
बाल्टी भर कर दूसरे पर डाला करते थे,
कहने को बातें बहुत और शब्द कम,
बस इतना ही कहना है कि,
वो भी क्या दिन थे....
 सुप्रभात।
उन दिनों की बहुत याद आती है 
जब हम एक साथ बैठ कर सुबह का आनंद लिया करते थे।
कामना करते हैं कि वो शुभ दिन जल्द लौट आएं।
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manishat8018

Manisha T.

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