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पल्लव की डायरी आँखों से चश्मा,बुराइयों का उतर जाना

पल्लव की डायरी
आँखों से चश्मा,बुराइयों का
उतर जाना चाहिये
हवस के भेडियो को जंगल छोड़ आना चाहिये
घायल होने लगें हदे,पशुतापन उभर आये
ऐसे दरिंदो को सूली पर चढ़ा देना चाहिये
आवारापन और बहशीपन दिखे कही
उसे वही मिट्टी में मिला देना चाहिये
अनैतिकता के खिलाफ आवाज
हर घर परिवार समाज से उठना चाहिये
डर और भय निकालकर
धमक नारी के अस्तित्व बचाने की
शुरुआत  अब होनी चाहिये
                                   प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"
  आखों से चश्मा बुराइयों के उतर जाना चाहिये
#nojotohindi

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