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मैं खामोश हो जाता हूं उसकी एक डांट पर, उसके ख्वाब

मैं खामोश हो जाता हूं उसकी एक डांट पर,
उसके ख्वाब जागते हैं मुझे रात भर।
नहीं मालूम क्या बचा है अब दरमियां हमारे।
बस अब हम झगड़ते नहीं, हर बात पर।
...#जलज कुमार

©JALAJ KUMAR RATHOUR मैं खामोश हो जाता हूं उसकी एक डांट पर,
उसके ख्वाब जागते हैं मुझे रात भर।
नहीं मालूम क्या बचा है अब दरमियां हमारे।
बस अब हम झगड़ते नहीं हर बात पर।
मैं खामोश हो जाता हूं उसकी एक डांट पर,
उसके ख्वाब जागते हैं मुझे रात भर।
नहीं मालूम क्या बचा है अब दरमियां हमारे।
बस अब हम झगड़ते नहीं, हर बात पर।
...#जलज कुमार

©JALAJ KUMAR RATHOUR मैं खामोश हो जाता हूं उसकी एक डांट पर,
उसके ख्वाब जागते हैं मुझे रात भर।
नहीं मालूम क्या बचा है अब दरमियां हमारे।
बस अब हम झगड़ते नहीं हर बात पर।