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"अच्छाई-बुराई, अच्छा इंसान- बुरा इंसान जैसे शब्दो

"अच्छाई-बुराई, अच्छा इंसान- बुरा इंसान जैसे शब्दो का वस्विकता में कोई अस्तित्व ही नहीं" 
बुराई से ही बुराई पैदा होती है , और अच्छाई से अच्छाई, 
हर इंसान के मन के कोने में एक देवता है और साथ ही एक राक्षस भी, 
हर वो अच्छाई की परिभाषा किसी ऐसी विषम परिस्थिति में बुराई में परिवर्तित हो जाती है जब स्थिति  किसी एक के चुनाव कि होती है। 
 उचित अनुचित कि सभी किताबी परीभाषायें परिवर्तित हो जाती है 
जब बात व्यक्ति के स्वार्थ कि होती है। 
हर इंसान में बुराई है, हर इंसान में अच्छाई ये समाज ये लोग, और हालात जिस चीज को अधिक उत्तेजित करते है
भविष्य में उस प्रकार का व्यक्तित्व और विचार ही अच्छा और बुरा इंसान का निर्माण करते है....!!
हमारे ही हाथों में है समाज को बदलना समाज  की बुराईया न कर कर थोड़ा स्वार्थ को परेय रख कर स्वयम् में परिवर्तन लाना 
अपने दुःख अपनी  समस्याओं की भाती दूषरों की  समस्याओं, और दुःख को भी अपना मानकर...

©shivam rawat
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