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" बारिश में तुम........." हाय....! क्या सितम ढ़ाते

" बारिश में तुम........."

हाय....! क्या सितम ढ़ाते हो तुम

सजने संवरने का मुक़ाबला हो तो,

आँखों में सिर्फ़ काज़ल लगाते हो तुम

और सरेआम यु शहर में, अब तो क़त्ल होने लगे

जब पहली बारिश में छत पे, जो भिगने आती हो तुम !

                                                   © सुशील मेश्राम " बारिश में तुम...."
" बारिश में तुम........."

हाय....! क्या सितम ढ़ाते हो तुम

सजने संवरने का मुक़ाबला हो तो,

आँखों में सिर्फ़ काज़ल लगाते हो तुम

और सरेआम यु शहर में, अब तो क़त्ल होने लगे

जब पहली बारिश में छत पे, जो भिगने आती हो तुम !

                                                   © सुशील मेश्राम " बारिश में तुम...."

" बारिश में तुम...."