धनिया सा पुरूष चटनी बन जाता है दायित्वों में पिस पिस कर कि कल उसके परिवार को न हो कोई कमी। #पुरूषदिवस धनिया सा पुरूष चटनी बन जाता है दायित्वों में पिस पिस कर कि कल उसके परिवार को न हो कोई कमी। ✍️अवधेश कनौजिया©