2018 की ek बेहतरीन शायरी ..........,बिछड़ी हुई मां ...,...... जो छाई है बदली गम की, आखिर वह जाती क्यों नहीं एक निवाला प्रेम का ,मेरे हाथ से खाती क्यों नहीं सपनों में यूं तो ,दीदार होता है खुदा का फिर मेरी मां सपनों में आती क्यों नहीं जो छाई है...... था तो मैं भी दुलारा अपनी मां का ,आंखों का तारा प्राणों से प्यारा अपनी मां का अपने आहट से अब वो आंगन को महकाती क्यों नहीं फिर मेरी मां सपनों में आती क्यों नहीं जो छाई है .......... तुलसी जो आंगन में है उसे अभी है इंतजार तेरे आने का गुनगुनाने का साथ में फिर से झूम जाने का रूठ जाता हूं अब भी मैं फिर से आकर मनाती क्यों नहीं फिर मेरी मां सपनों में आती क्यों नहीं जो छाई है बदली गम की आखिर हो जाती क्यों नहीं एक निवाला प्रेम का मेरे हाथ से खाते क्यों नहीं ll #NojotoQuote बिछड़ी हुई मां....