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अश्रुपूर्ण नयन मेरे अनवरत बहते हैं, समंदर भी भर गय

अश्रुपूर्ण नयन मेरे
अनवरत बहते हैं,
समंदर भी भर गया,
फिर भी न रुकते हैं.!

हसरतों की टूटने की सिसकियाँ,
अब धड़कनों में उठते हैं.!
मन वेदनामय रम सा गया है,
हर एक शब्द वाणों से चुभते हैं.!!

निद्राविहीन है तन-मन रात्री से प्रातः तक,
मन कुंठित है और असहनीय पीड़ा के चीत्कार गूँजते हैं.!
मन में अब कोई इच्छा नहीं, जिजीविषा भी समाप्त है,
इसलिए मृत्यु की आस लिए हम हर सुबह उठते हैं.!

©Khamosh Zindagi अश्रुपूर्ण #नयन  मेरे
अनवरत बहते हैं,
#समंदर  भी भर गया,
फिर भी न रुकते हैं.!

हसरतों की टूटने की #सिसकियाँ 
अब धड़कनों में उठते हैं.!
#मन  वेदनामय रम सा गया है,
अश्रुपूर्ण नयन मेरे
अनवरत बहते हैं,
समंदर भी भर गया,
फिर भी न रुकते हैं.!

हसरतों की टूटने की सिसकियाँ,
अब धड़कनों में उठते हैं.!
मन वेदनामय रम सा गया है,
हर एक शब्द वाणों से चुभते हैं.!!

निद्राविहीन है तन-मन रात्री से प्रातः तक,
मन कुंठित है और असहनीय पीड़ा के चीत्कार गूँजते हैं.!
मन में अब कोई इच्छा नहीं, जिजीविषा भी समाप्त है,
इसलिए मृत्यु की आस लिए हम हर सुबह उठते हैं.!

©Khamosh Zindagi अश्रुपूर्ण #नयन  मेरे
अनवरत बहते हैं,
#समंदर  भी भर गया,
फिर भी न रुकते हैं.!

हसरतों की टूटने की #सिसकियाँ 
अब धड़कनों में उठते हैं.!
#मन  वेदनामय रम सा गया है,