काव्यात्मक सारांश सर्वप्रथम मैं क्षमा प्रार्थी हूँ प्रेमचंद जी द्वारा रचित इतने सुंदर उपन्यास का काव्यात्मक सारांश लिखने की धृष्टता की है मैंने। इसके साथ ही इस सारांश में बहुत सी चीजें नहीं है जिन्होंने इस उपन्यास को पढा़ है वे जान पाएंगे कि यह केवल एक रूपरेखा सी है उपन्यास की। ======================================