'उपमा' नदी की दी जाती है 'स्त्री' को फिर.. कैसे कह सकते हो भुला दूँ तुमको देखते नहीं तुम नदी का तिरस्कार, सागर द्वारा देना उछाल लहरों में और टकरा जाना 'साहिल' से पर..'समर्पण' नदी का समझे नहीं शायद तुम लाख टकराना साहिल से और फिर वापस लौट समा जाना 'सागर' में...! 🌹🌹 #bestyqhindiquotes #yqdidi #yqpoetry #yqlovequotes #yqhindi #yqwriters #yqkavi