Nojoto: Largest Storytelling Platform

क्या मनसूबे थे तुम्हारे, कि मेरा जाना खूब हुआ तुम

क्या मनसूबे थे तुम्हारे, कि मेरा जाना खूब हुआ
तुम रही सदा आज़ाद, कि मेरा जाना क़ैद हुआ

क्या रही नादानी मेरी, कि तेरा बताना दूर हुआ
तू रही सदा इसी दुआ में, कि मेरा जाना क़बूल हुआ

अब जा न होगी तुझे कोई तकलीफ़ इस जहांन में,
जब से मेरा गुज़र जाना ख़ुदा के यहाँ क़बूल हुआ॥

©Himanshu Tomar #मनसूबे
क्या मनसूबे थे तुम्हारे, कि मेरा जाना खूब हुआ
तुम रही सदा आज़ाद, कि मेरा जाना क़ैद हुआ

क्या रही नादानी मेरी, कि तेरा बताना दूर हुआ
तू रही सदा इसी दुआ में, कि मेरा जाना क़बूल हुआ

अब जा न होगी तुझे कोई तकलीफ़ इस जहांन में,
जब से मेरा गुज़र जाना ख़ुदा के यहाँ क़बूल हुआ॥

©Himanshu Tomar #मनसूबे