इस कदर भी न चाहो कि तेरे बाहों के कफ़स में जीना दुश्वार हो जाये, बेइंतहा प्यार करते हैं आप से ए दिलबर ए फिजा, कहीं मौत से प्यार न हो जाये, इज्जत दिल मे रखो प्यार आँखों से करो,कभी अजदियाँ न छीन लेना, मोहब्बत का खेल दिमाग से न खेलना देखो कहिं जिंदगी ही रूठ न जाये, चाहूं हर जन्म तेरे साथ को ये दिल बस तुझे ही अपनी मिलकियत बनाना चाहे, अब लौट आओ कहीं ये हकीकत में निशा एक खूबसूरत ख्वाब न हो जाये।। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को रचना का सार..📖 के प्रतियोगिता:-126 में स्वागत करता है..🙏🙏 *आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।