पिताजी की याद में ***************** आज अचानक याद वो मंजर आ गया, जब आपको दुनिया से रुख़्सत किया, हंसी-खुशी कट रही थी जिंदगी, अचानक आपने अलविदा कह दिया। तुझ से बिछड़ने के बाद ये जाना,मानो घर खाली हुआ,बस खंडर रह गया, तू नहीं था, तेरे साथ दुनिया का, रूठा रूठा सा एहसास रह गया। इंतजार जिसका था मेरा ख्याबां,आज मेरी बगिया खारज़ार कर गया, गोद में पली , दिल का टुकड़ा थी,आज ना जाने,अपनी रुखसती से,दिल के टुकड़े-टुकड़े कर गया। याद है मुझे बाबुल मेरे, हर बार तूने लाड लडाया है, अच्छा क्या हैं, बुरा क्या हैं, उसका पहचान कराया हैं। आज तो कह गया अलविदा, हमें अपने दिल के टुकड़ों को क़ैद-ए-हयात से तुम तो हो गए आज़ाद, बताओ हमें किसके भरोसे छोड़ आया था। Done न लिखे अपनी रचना को ही कमेंट बॉक्स मे पेस्ट कर्रे शीर्षक और अपना नाम भी लिखे email भी दे ➡ रविवार विशेष प्रतियोगिता संख्या- 02 ➡ रचना 8 पंक्तियों में लिखें ➡ शीर्षक:- आप स्वंय सोचकर लिखे जिंदगी से जुड़ी कोई दर्द भरी कविता