लोग कहते है.. . साथ क्या ले जाओगे सब यहीं पड़ा रह जाएगा मैं सोच रहा हूं.. .तो... . .मैं कहां जाऊंगा क्या मैं भी पड़ा रह जाऊंगा उन स्मृतियों में.. . जो यथेष्ठ हों स्पष्ट हों परिमाण हों की मैं था ...... . .यहीं अधूरी इच्छाओं की आपूर्ति में... . अनकही बात की श्रुति में... . प्रयत्नरत.. . क्या मैं भी पड़ा रह जाऊंगा उस आंसू में जो ढुलका नही कपोलों पर गिरा भी नही अपने होने को छोड़कर पड़ा है अपने मौन रूदन में.. . क्या मैं भी पड़ा रह जाऊंगा समय के पथ पर.. देखता जाते हुए समय को... . .उस वर्तमान में .. . जिसका मैं अतीत हूं पड़ा हुआ ! क्या मैं भी पड़ा रह जाऊंगा मैं सोच रहा हूं लोग कहते हैं.... . .सब यहीं पड़ा रह जायेगा.. . ©Ankur Mishra #खाली_हाथ लोग कहते है.. . साथ क्या ले जाओगे सब यहीं पड़ा रह जाएगा मैं सोच रहा हूं.. . तो... . .मैं कहां जाऊंगा