तू मस्तमौला, सा लगता तू आबाद, तू बर्बाद, सा लगता है तू ज़िन्दगी,जीने का हर फलसफा जानता है इसलिए तू, थोड़ा पागल सा लगता है तू आज़ाद सा, अपने हर खयालो से तू खुशनुमा सा लगता है,अपने हर सवालो से तू परिन्दा आसमानो का , न जाने धरती से क्यू रिश्ता रखता है तू खुशी की हर चादर ओढ़ता है न जाने क्यू एक सुकुन सी नींद सा लगता है, तू सुकुन को खुद में ढूंढता है तू हर उम्र को ख़ूबसूरती से जीता है तू किसी अनजाने बेगाने और पैसों का मोहताज नही... इसलिए तू "ताज" सा लगता है tu taaj sa lagta hai...