उससे क्या पूछता है मेरे दर्द का आलम, इन गीले तकियों से पूछ, वो तो कबके तन्हा कर गई, वो क्या जाने, मेरे रातो के हर टूटे ख़्वाब का गवाह है ये। गीले तकिए....