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ढल रही थी जिंदगी हर रोज किसी जद्दोजहद में विडंबना

ढल रही थी जिंदगी हर रोज किसी जद्दोजहद में
विडंबना तो देखो हम बस देखे जा रहे थे...

अपनी जिंदगी के पन्नों पर हम रोज कुछ लिखते
 फिर मिटा देते फिर लिखते फिर मिटा देते
 और यही सिलसिला जारी रहा...

शायद हम ये समझ ही नहीं पाये कि
 वो हम हीं हैं जो लिखे और मिटाये जा रहे थे...

क्या हैं, क्या हो सकते हैं और क्या हो सकते थे के कश्मकश में
हम इतने मसरूफ रह गए, 

यहां खुद से मुलाकात करनी थी मगर  अबतक
 हम किसी और से मिले जा रहे थे...
ढल रही थी जिंदगी और हम बस देखे जा रहे थे...

©Ajnabii Inherself #KoraKagaz#Ajnabii_inherself #SPriya #Nojotohindi
ढल रही थी जिंदगी हर रोज किसी जद्दोजहद में
विडंबना तो देखो हम बस देखे जा रहे थे...

अपनी जिंदगी के पन्नों पर हम रोज कुछ लिखते
 फिर मिटा देते फिर लिखते फिर मिटा देते
 और यही सिलसिला जारी रहा...

शायद हम ये समझ ही नहीं पाये कि
 वो हम हीं हैं जो लिखे और मिटाये जा रहे थे...

क्या हैं, क्या हो सकते हैं और क्या हो सकते थे के कश्मकश में
हम इतने मसरूफ रह गए, 

यहां खुद से मुलाकात करनी थी मगर  अबतक
 हम किसी और से मिले जा रहे थे...
ढल रही थी जिंदगी और हम बस देखे जा रहे थे...

©Ajnabii Inherself #KoraKagaz#Ajnabii_inherself #SPriya #Nojotohindi