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हाथों में बेकारी है !! घूम-घूम, सब देख-देख न

हाथों में बेकारी है !!

घूम-घूम,    सब  देख-देख 
नज़रों   ने    खाया  धोखा!
खून के प्यासे   दो जनों में 
रिश्ता    भाई  का  चोखा !!

जिंदगी की   भीख मांगता 
बेटे    से    पिटता    बाप!
मंदिर  - मंदिर  माथा टेका 
मिल  गया      अभिशाप !!
Continue....

 Read Full poem  in Caption.
   हाथों में बेकारी है !!

घूम-घूम,    सब  देख-देख 
नज़रों   ने    खाया  धोखा!
खून के प्यासे   दो जनों में 
रिश्ता    भाई  का  चोखा !!

जिंदगी की   भीख मांगता
हाथों में बेकारी है !!

घूम-घूम,    सब  देख-देख 
नज़रों   ने    खाया  धोखा!
खून के प्यासे   दो जनों में 
रिश्ता    भाई  का  चोखा !!

जिंदगी की   भीख मांगता 
बेटे    से    पिटता    बाप!
मंदिर  - मंदिर  माथा टेका 
मिल  गया      अभिशाप !!
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   हाथों में बेकारी है !!

घूम-घूम,    सब  देख-देख 
नज़रों   ने    खाया  धोखा!
खून के प्यासे   दो जनों में 
रिश्ता    भाई  का  चोखा !!

जिंदगी की   भीख मांगता