प्रेम..... प्रेम अमिट है उसे मिटाया जा नहीं सकता जैसे सूरज की रोशनी उसे मंद किया जा नहीं सकता प्रेम अबाध्य है उसे बांधा जा नहीं सकता जैसे वायु की गति उसे थामा जा नहीं सकता प्रेम अनिर्वचनीय है उसे बखाना जा नहीं सकता जैसे गीता का ज्ञान उसे वर्णित किया जा नहीं सकता प्रेम विस्तृत है उसे सीमित किया जा नहीं सकता जैसे विचार-प्रवाह उसे सीमा रेखा में रखा जा नहीं सकता प्रेम सुगंध है उस खुशबू को फैलने से रोका जा नहीं सकता जैसे कुसुम उसे खिलने से रोका जा नहीं सकता प्रेम सृष्टि है उसके अस्तित्व को नकारा जा नहीं सकता जैसे हम और तुम वैसे ही "प्रेम" इस बात को झुठलाया जा नहीं सकता प्रेम अमिट है उसे मिटाया जा नहीं सकता...! मुनेश शर्मा मेरी ✍️🌈 9 प्रेम अमिट है उसे मिटाया जा नहीं सकता😊