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फिर मेरे याद मे वो रो रही होगी फिर वो बादल सा किसी

फिर मेरे याद मे वो रो रही होगी
फिर वो बादल सा किसी पे बरस रही होगी

मेरे सुरत को भूलाने की कोशीश मे
खूद की सूरत मिटा रही होगी

पूछा जो हाल तो कूछ नही बोली
शायद वो अब भी किसी से डर रही होगी

वो मेरा हाल पूछती है गैरो से
वो मूझ जैसा किसी को बना रही होगी #Hk
फिर मेरे याद मे वो रो रही होगी
फिर वो बादल सा किसी पे बरस रही होगी

मेरे सुरत को भूलाने की कोशीश मे
खूद की सूरत मिटा रही होगी

पूछा जो हाल तो कूछ नही बोली
शायद वो अब भी किसी से डर रही होगी

वो मेरा हाल पूछती है गैरो से
वो मूझ जैसा किसी को बना रही होगी #Hk