लिखते-लिखते इस कलम से मोहब्बत हो जायेगी सोचा न था मेरे दिल की आवाज यहाँ कुछ इस तरह आयेगी सोचा न था अब लिखता हूँ तो सोचता हूँ बहुत गौर से मेरे सरकार ये कलम हर रंग को लिखकर ऐसे सुनायेगी सोचा न था आदित्य कुमार भारती #love for writing