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चौराहे पर किसी बेवस की लुटती इज़्ज़त अब शरेआम हो जा

चौराहे पर  किसी बेवस की लुटती इज़्ज़त अब शरेआम हो जाती है।
चलती फिरती मचलती, उमंगों में रंगी ज़िन्दगी बेजान हो जाती है।
नाजुक सी चिड़ियों को नोंच खाने पर टिकी रहती है गिद्धों की नज़र।
शाम ढलते ही मेरे गुलजार से शहर की गली समशान हो जाती है।। #nojotohindi #hindipoetry #urvilpoetry #urvil #streetofpoetry
चौराहे पर  किसी बेवस की लुटती इज़्ज़त अब शरेआम हो जाती है।
चलती फिरती मचलती, उमंगों में रंगी ज़िन्दगी बेजान हो जाती है।
नाजुक सी चिड़ियों को नोंच खाने पर टिकी रहती है गिद्धों की नज़र।
शाम ढलते ही मेरे गुलजार से शहर की गली समशान हो जाती है।। #nojotohindi #hindipoetry #urvilpoetry #urvil #streetofpoetry
urvilsingh5584

Urvil Singh

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