मुझे मार खाने से हरदम बचाता था, इक दोस्त था मेरा, मेरा टिफिन भी चुरा कर खाता था, इक दोस्त था मेरा। जब भी मैं सुबक कर रोता, मुझे गले वो लगा लेता था, कान्धे पे मेरे खुद बच्चो सा झूलता, इक दोस्त था मेरा। खून का रिश्ता ना था उससे, पर सबसे ज़्यादा प्यारा था मुझे चोट लगने पर दर्द में रोने वाला, इक दोस्त था मेरा। भूख लगने पर भी ज़ोरो की, वो कहता था भूखा नही वो, अपने बचे पैसो से मुझे खिलाने वाला, इक दोस्त था मेरा। यूँ तो मेरी हर नादानी को हँस कर वो माफ भी कर देता था, मेरी गलती पर मुझे थप्पड़ मारने वाला, इक दोस्त था मेरा। यूँ तो उसे कभी ज़िंदगी में सच्चे रिश्तों की कोई कमी न हुई, मुझे सगे भाई से भी बढ़ कर मानने वाला, इक दोस्त था मेरा। और इक दिन आया, जब सब कुछ दरमियां खत्म हो गया, मुझे जहां में अकेले छोड़ कर जाने वाला, इक दोस्त था मेरा। यारों दोस्ती बड़ी ही हसीं है, ये ना हो तो, क्या फिर, बोलो ये ज़िंदगी है। - Rockford एक ऐसे ही भाई एक ऐसे ही दोस्त के लिये लिखी है ये रचना जो अब इस दुनिया में नहीं है। अंजान 'इकराश़'