घनघोर अंधेरे में मंजिल, कोई राह नजर ना आती है, घडी में चलती हर सुंई, मंजिल की याद दिलाती है... कहीं देर ना कर दूं चलने में, ये बात सोच घबराता हूं, गिरता मैं भी हूं राहों में, पर फिर से खड़ा हो जाता हूं... मैं भिड जाउंगा मुश्किलों से, कठिनाई से टकराउंगा, अंदर जो डर है गिरने का, उस डर को खौफ दिखाउंगा.... विश्वास मुझे मेरी मेहनत पे, सच सपने करके दिखाउंगा, भले राह मुझे कोई मिले नहीं, मंजिल मैं मेरी पाउंगा..... Deepak kumar For all my friends who are working hard to achieve something 😇