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#खुलीआँखें कलतक खुली आँखें भी बंद थी मेरी, मंजिल

#खुलीआँखें

कलतक खुली आँखें भी बंद थी मेरी,
मंजिल तय थी मेरी और में सोया था।
आगे बड़ना था मुझे लक्ष्य की चाह में,
जाने क्यों? बेवजह ही कहीं खोया था।
देखा गौर से खुद को, तो समझ आया,
बहुत बहुमूल्य था वो एक-एक पल मेरा,

#खुलीआँखें कलतक खुली आँखें भी बंद थी मेरी, मंजिल तय थी मेरी और में सोया था। आगे बड़ना था मुझे लक्ष्य की चाह में, जाने क्यों? बेवजह ही कहीं खोया था। देखा गौर से खुद को, तो समझ आया, बहुत बहुमूल्य था वो एक-एक पल मेरा, #hindi_poetry #pyaarimaa #शंकरदास #shankardas

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