सांझ ढल रवि दिन उगे, मधु नींद से सोवत जगे । मननन विवेच लिखन छके, हिलमिल जिवन चल तन थके ।। स्वर काव्य के तव गावती, चित प्यास पढ़त बुझावती । आलोक के एकात्म में, अवचेत तरण समावती ।। As you retire to your subconscious, I try depicting the phenomenon in the way I do.. deepti T Much Love 😍🐝😍 मननन - मनन कर के विवेच - विवेचन कर के