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कल तक लगता था वीराना,वह आज सुहाना लगता है आ रहे तर

कल तक लगता था वीराना,वह आज सुहाना लगता है
आ रहे तरु में नये पर्ण,मधुऋतु का आना लगता है
मन की निराशा-रजनी बीती, उत्साह-भानु का हुआ उदय
गर हृदय में "किंचित प्रेम" शेष, सुंदर यह जमाना लगता है

                                       ___©® गणेश सिंह
                                                      'दिले नादां' #सुहाना #मधुऋतु

कल तक लगता था वीराना,वह आज सुहाना लगता है
आ रहे तरु में नये पर्ण,मधुऋतु का आना लगता है
मन की निराशा-रजनी बीती, उत्साह-भानु का हुआ उदय
गर हृदय में "किंचित प्रेम" शेष, सुंदर यह जमाना लगता है

                                       ___©® गणेश सिंह
कल तक लगता था वीराना,वह आज सुहाना लगता है
आ रहे तरु में नये पर्ण,मधुऋतु का आना लगता है
मन की निराशा-रजनी बीती, उत्साह-भानु का हुआ उदय
गर हृदय में "किंचित प्रेम" शेष, सुंदर यह जमाना लगता है

                                       ___©® गणेश सिंह
                                                      'दिले नादां' #सुहाना #मधुऋतु

कल तक लगता था वीराना,वह आज सुहाना लगता है
आ रहे तरु में नये पर्ण,मधुऋतु का आना लगता है
मन की निराशा-रजनी बीती, उत्साह-भानु का हुआ उदय
गर हृदय में "किंचित प्रेम" शेष, सुंदर यह जमाना लगता है

                                       ___©® गणेश सिंह