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हमारा मन एक फूल की तरह नाज़ुक सा है। कभी कभी इसका

हमारा मन एक फूल की तरह नाज़ुक सा है।
कभी कभी इसका भीं ध्यान रख लिया कीजिए।।
इसकी बात को ज्यादातर तुम भले मानों नही।
पर कभी तो इसको जरा इज्ज़त दे ही दीजिए।
बिचारा टूटता भीं ख़ुद ही है तो जुड़ भीं जाता हैं।।
पर कभी ऐसा ना हों ऐसा भीं इंतज़ाम कीजिए।।।

©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma
   ये नाज़ुक सा मन#delicate

ये नाज़ुक सा मनdelicate #Shayari

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