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मनुष्य की चेतना को चार भागों में बाँटा जा सकता है

मनुष्य की चेतना को चार भागों 
में बाँटा जा सकता है।
{Bolo Ji Radhey Radhey}
१. चेतन मन, २ अवचेतन मन ३.
 अचेतन मन, ४. अतीन्द्रिय चेतन।
 अग्रेजी में इसे कान्सेश माइंड,
 सबकान्सेश माइंड, अनकान्सेश 
माइंड, सुपरकान्सेशमाइंड, कहते हैं।
 साधु संतों की साधुक्कड़ी भाषा में
 इसे :-१ जाग्रत अवस्था, २. स्वप्न
 अवस्था, ३ सुषुप्ति अवस्था, 
४. तुरीया अवस्था, कहते हैं।

©N S Yadav GoldMine
  मनुष्य की चेतना को चार भागों 
में बाँटा जा सकता है।
{Bolo Ji Radhey Radhey}
१. चेतन मन, २ अवचेतन मन ३.
 अचेतन मन, ४. अतीन्द्रिय चेतन।
 अग्रेजी में इसे कान्सेश माइंड,
 सबकान्सेश माइंड, अनकान्सेश 
माइंड, सुपरकान्सेशमाइंड, कहते हैं।

मनुष्य की चेतना को चार भागों में बाँटा जा सकता है। {Bolo Ji Radhey Radhey} १. चेतन मन, २ अवचेतन मन ३. अचेतन मन, ४. अतीन्द्रिय चेतन। अग्रेजी में इसे कान्सेश माइंड, सबकान्सेश माइंड, अनकान्सेश माइंड, सुपरकान्सेशमाइंड, कहते हैं। #जानकारी

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