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यहाँ रुकना है या नहीं सही है या गलत समझ मुझे ये भी

यहाँ रुकना है या नहीं
सही है या गलत
समझ मुझे ये भी नहीं
क्या यही ज़िंदगी है
गर है तो ऐसी क्यूं है
और ये अंत नहीं तो ये
वक़्त जल्दी कब गुज़रेगा
इन सारे सवालों में उलझ गए थी मैं
सोचा था जिसे ज़िंदगी उस भंवर में फस गई थी मैं
उस वक़्त न कोई था न थी कोई उम्मीद
अंधेरे रास्तों पर अकेली ही चल रही थी मैं
नाउम्मीदी, बेबस, लाचार बन गई थी मैं
मैं ढूंढ रही थी पत्थरों में ख़ुदा
जो कभी ज़मीन पे न पाया था
खुद को तनहा मानकर जी रही थी ज़िंदगी
और ख़ुदा मेरी ज़िंदगी में चाँद बन कर मुझमें समाया था🌙🙈😘

©pooja yadav
  #BreakUp #thought #Hindi #Love
poojayadav8307

pooja yadav

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#BreakUp #thought #Hindi Love

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