अजब ख़ालीपन है मेरी जिंदगी में न जगह किसी के लिए यहाँ, न लोगो की भीड़ यहाँ, बस है तो सिर्फ मेरी तन्हाइयां, रात कटती है चाँद के सहारे, दिन निकल जाता है सड़को के किनारे, बचती है शाम तो लगा लेते हैं जाम, महफ़िल अपनी जमती नहीं, क्योंकि अपने पास लोगो की बस्ती नहीं। बस यही अजब से ख़ालीपन है मेरी जिंदगी में। अजब ख़ालीपन है मेरी #जिंदगी में न जगह किसी के लिए यहाँ, न लोगो की भीड़ यहाँ, बस है तो सिर्फ मेरी #तन्हाइयां, #रात कटती है #चाँद के सहारे, दिन निकल जाता है सड़को के किनारे, बचती है शाम तो लगा लेते हैं जाम, #महफ़िल अपनी जमती नहीं,