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जब रुह किसी बोझ से थक जाती है , एहसास की

जब  रुह  किसी  बोझ  से  थक  जाती  है , 
एहसास  की  लौ  और  भी  बढ़  जाती  है ,
 मैं  बढ़ता  हूँ  जिन्द़गी  की  तरफ  लेकिन ,
जंजीर  सी  पाँव  मे  छनक  जाती  है

©Ankit yaduvanshi #जंजीर
जब  रुह  किसी  बोझ  से  थक  जाती  है , 
एहसास  की  लौ  और  भी  बढ़  जाती  है ,
 मैं  बढ़ता  हूँ  जिन्द़गी  की  तरफ  लेकिन ,
जंजीर  सी  पाँव  मे  छनक  जाती  है

©Ankit yaduvanshi #जंजीर